Menu
blogid : 24141 postid : 1191571

तेरा गुनेगार हूँ माँ

Dev Kumar
Dev Kumar
  • 5 Posts
  • 9 Comments

तेरी वफ़ा छोड़ मैं बेवफाओं पे मरता रहा !
एक ही गुनाह मैं बार-बार करता रहा !
न चूमा तेरा आँचल ,न छूए तेरे पाँव !
फिर कैसे मिल जाती मुझे चाहत की छाँव !
तप-तप के सीखा हैं मैंने जिंदगी से !
चैन-ओ-सुकूँ मिलता है तेरी बंदगी से !
करूँ दीदार तेरा खुदा जैसी तेरी सूरत है !
इस जहाँ में बस, तू वफ़ा की मूरत हैं !
खुश’नसीब हैं वो जो तेरा प्यार पाते हैं !
जो दुखाते हैं तेरा दिल वो बड़ा पछताते हैं !
तेरा गुनेगार हूँ माँ !
माफ़ कर देना मुझे माँ!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh